मंगलवार, मार्च 10, 2009

प्रेम में आविष्कार

एकमात्र प्रेम ही-- अपने प्रिय के जीवन, यश, प्रीति और वृद्धि को उन्नति के पथ पर ले चलने के लिए क्या करना होगा, अविष्कार कर ; उसे वास्तव में परिणत कर सकता है; -- तुम जिसे प्रिय समझ रही हो-- तुम्हारे मन और मस्तिस्क की अवस्था उस ढंग की हुई है या नहीं-- देख कर समझ सकोगी तुम्हारे प्रेम में खोटापन है या नहीं। 42
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति