स्त्री-चरित्र सहज नम्य होता है--
इसलिये
बिना सोचे-समझे पुरुष-चर्या में
सहज में ही
आनत और रंजित हो जाती है ;
यह स्त्री-जाति का एक
लक्षणीय लक्षण है ; --
इसलिये,
यदि उपयुक्त वर ही पाना चाहती हो
पुरुष से
इतना दूर रहो
जिससे नजर में रहे
पर मिश्रण न हो ;--
तुम बोध कर सकोगी
और उपयुक्त मनोनयन होगा ;--
और, उसे बिना सोचे समझे परिचर्या के
फलस्वरूप
अधः पतन का
बहुधा गुप्त आक्रमण
तुम्हें विध्वस्त और विपन्न करके--
पातित्य के तमसाच्छन्न गह्वर में
पहुंचा दे सकता है,
सजग रहो--
सावधान हो। 64
---: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति