शनिवार, अक्तूबर 24, 2009

नम्यता में विपर्यय

स्त्री-चरित्र सहज नम्य होता है-- इसलिये बिना सोचे-समझे पुरुष-चर्या में सहज में ही आनत और रंजित हो जाती है ; यह स्त्री-जाति का एक लक्षणीय लक्षण है ; -- इसलिये, यदि उपयुक्त वर ही पाना चाहती हो पुरुष से इतना दूर रहो जिससे नजर में रहे पर मिश्रण न हो ;-- तुम बोध कर सकोगी और उपयुक्त मनोनयन होगा ;-- और, उसे बिना सोचे समझे परिचर्या के फलस्वरूप अधः पतन का बहुधा गुप्त आक्रमण तुम्हें विध्वस्त और विपन्न करके-- पातित्य के तमसाच्छन्न गह्वर में पहुंचा दे सकता है, सजग रहो-- सावधान हो। 64
---: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति