वरण का श्रेष्ठ क्षेत्र
वर्ण और वंशानुक्रमिकता के
आधार पर--
बोध, विद्या, चरित्र और व्यवहार
जहाँ पुष्ट और पवित्र है, --
वही है तुम्हारा वरण करने का
श्रेष्ठ क्षेत्र ;--
स्मरण रखो--
तुम्हारा प्रेम
जहाँ--
जिस रूप में
न्यस्त होगा--
फल का उदभव भी
वैसा होगा
संदेह नहीं है--
समझ-बुझकर चलो. |74|
--: श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र, नारीनीति
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