गुरुवार, अक्तूबर 07, 2010

Vivaah Mein Udvarddhan Aur Suprajanan

विवाह में उद्वर्द्धन और सुप्रजनन

विवाह
मनुष्य की
दो प्रधान कामनाओं की ही
परिपूर्ति करता है;--
इनमें एक है उद्वर्द्धन,

दूसरा है सुप्रजनन ;
अनुपयुक्त विवाह

इनदोनों को ही
खिन्न कर देता है ;--
सावधान !
विवाह को खिलौना मत समझो--
जिसमें
तुम्हारा जीवन
और जनन
जडित है.  |72|

--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचंद्र, नारीनीति

कोई टिप्पणी नहीं: