विवाह में उद्वर्द्धन और सुप्रजनन
विवाह
मनुष्य की
दो प्रधान कामनाओं की ही
परिपूर्ति करता है;--
इनमें एक है उद्वर्द्धन,
दूसरा है सुप्रजनन ;
अनुपयुक्त विवाह
इनदोनों को ही
खिन्न कर देता है ;--
सावधान !
विवाह को खिलौना मत समझो--
जिसमें
तुम्हारा जीवन
और जनन
जडित है. |72|
--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचंद्र, नारीनीति
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