नारी की साज-सज्जा,
वेश-भूषा,
चलन-चरित्र
ऐसा होना चाहिए--
जो पुरुष के दिल में
एक उन्नत, पवित्र, सद् भाव पैदा करे;
और यह सुप्रजनन एवं
मनुष्य को श्रद्धोदीप्त करने का
एक उत्तम उपकरण है; --
इसकी बहुलता
बाहुल्य को ही आमंत्रित करेगी--
सावधान होओ। 26
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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