चाटुकारिता में विपर्यय
अनेक नारी --
सौंदर्य की सुख्याति,
किसी कार्य में बहादुरी,
प्रशंसा, उपहार इत्यादि
स्त्री या पुरुष से - विशेषतः
पुरुष से पाने पर--
उनके प्रति हठात
खूब ढल पड़ती है,--
तभी दुष्ट व्यक्ति
कायदा करके
जो चाहे उससे वही करा ले सकता है ;
तुम किन्तु सावधान हो जाओ--
चाहे सुख्याति में हो--
और, निंदा में हो--
निजत्व में अटूट रहकर
प्रयोजनानुसार जैसा अच्छा समझो
वैसा चलो--
कलंक से बचोगी. |68|
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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