नम्यता में उत्कर्ष
नारी-प्रकृति होती है नम्य-- इसलिये वह अच्छाई को भी
अटूट भाव से
लिपट कर पकड़ सकती है,
और यह पकड़ प्रकृत होने पर
अव्यर्थ होती है--
दुनिया की उपेक्षा करके भी
जिसे लिपट कर पकड़ी है,
उसे लेकर
अटल भाव से
खड़ी रह सकती है !
जिनके द्वारा तुम्हारे जीवन, यश और वृद्धि
क्रमोन्नति में परिचालित होते हैं--
ह्रास या सम की अवज्ञा करके भी
उन्हें भी अटूट भाव से
तुम लिपट कर पकड़े रहो--
उन्नयन तुम्हारा किसी प्रकार भी
त्याग नहीं कर सकेगा--
यह अति निश्चय है ! |65|
--: श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र, नारी-नीति
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