तुम्हारे भाव, भाषा एवं कर्मकुशलता जिस प्रकार होगी
तुम्हारे संसर्ग में जो ही आयेंगे
उसी प्रकार
वे उद्दीप्त होंगे,
और, तुम पाओगी भी वही--
उसी प्रकार ;
तुम नारी हो,
प्रकृति ने ही तुम्हें
वैसी गुणमयी बनाकर
प्रसव किया है--
समझ कर चलो ! 9
--: श्री श्री ठाकुर, नारीनीति
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