मंगलवार, अक्तूबर 07, 2008

शिक्षा में भक्ति और ईर्ष्या

प्रेम या भक्ति से जो उदभूत शिक्षा है-- वही जीवन और चरित्र को रंजित कर सकती है; और, परश्रीकातरता, ईर्ष्या और हीनबोध से जिसका उदभव है-- वह मस्तिष्क में ग्रामोफोन के रिकार्ड की तरह स्मृति का चिह्न ही अंकित कर सकती है ; किंतु जीवन और चरित्र को कम ही स्पर्श करती है। 18
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति

कोई टिप्पणी नहीं: