जभी देखो--
तुम्हारे
वाक, व्यवहार, चलन, चरित्र और लगे रहना
तुम्हारी चाह को
जिस प्रकार परिपूरित कर सकते हैं--
उसे सहज रूप से अनुसरण नहीं कर रहें हैं ; --
निश्चय जानो--
तुम्हारी चाह खांटी नहीं है--
चाह की केवल विलासिता है। ११
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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