सावधान रहो--
किसी की भलाई करने में
दूसरे की भलाई को
विध्वस्त नहीं करो,--
एक की सुख्याति करने में
दूसरे की अख्याति नहीं करो,
एक की सेवा करने में
दूसरे के प्रति दृष्टिहीन नहीं हो;
साधारणतः
ऐसा ही होता है--
तुम किंतु
इस ओर
विशेष नजर रखो। 36
-- श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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