शनिवार, दिसंबर 06, 2008

निद्रा

चेतन रहना भगवान का आशीर्वाद है, और, यह चेतना ही है जीवन ;-- तुम व्यर्थ में निद्रा को साध कर न लाओ,-- उतना ही भर सोओ -- जिसके फलस्वरूप-- और भी उद्दीप्त हो उठ सको। 34
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति

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