नियत दोष और दुःख की बातें
मनुष्य को सहानुभूतिशून्य बना डालती हैं--
कारण,
मनुष्य तुमसे
दोष या दुःख नहीं चाहता,
चाहता है जीवन, आनंद, यश और वृद्धि ;
यदि वह नहीं पाता है,
तो तुम्हारा, अपना कहकर कोई
नहीं रहेगा--
हट जायेगा,--
बुझ जायेगा,--
देखोगी। 32
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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