रविवार, दिसंबर 07, 2008

स्फुरित नारीत्व में पुरुष की उद्दीप्ति

नारी जितना ही अपने वैशिष्ट्य में मुक्त होगी-- पुरुष में वही संघात संक्रामित होकर पुरुषत्व को उतना ही उद्दाम और उन्नत कर देगा ; और पुरुष का पुरुषत्व जितना ही निर्मल और उन्मुक्त होगा, नारी में वही संक्रामित होकर उसके वैशिष्ट्य को सार्थक कर देगा ; प्रकृति और पुरुष की यही है प्रकृत लीला-- जिस लीला में भगवान मूर्तिमान होकर-- अपनी प्रकृति में अधिष्ठित रहते हैं ;-- यदि भोग करना चाहती हो, सार्थक होना चाहती हो, वैशिष्ट्य को लांछित न करो-- उन्नत करो। 38
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति

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