बुधवार, दिसंबर 03, 2008

अभिमान

अभिमान करना नारियों की एक विषम दुर्बलता है;-- जब मनुष्य की अभिलाषा व्याहत होती है, तभी अहं नत होकर, हीनता को अवलंबन करके अफसोस से सर टेकता है;-- और, अभिमान है इस अहं की ही एक तरह की अभिव्यक्ति ; इसलिये, अभिमान के सहज सहचर ही होते हैं ईर्ष्या, आक्रोश और अनुचित दुःख का बकवास, मामूली कारण को अधिक समझकर उसमें मुह्यमान होना, रोगेच्छा (will to illness), अपरिष्कृत और कुत्सित रहने का विचार (will to ugliness); सावधान होओ -- यह तुम्हें जहन्नुम में ले जानेवाले प्रकृत बन्धु हैं। 29
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति

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