सोमवार, नवंबर 14, 2011

Prajanan-Niyantran Mein Naaree Ke Bhaav Aur Dayitw

प्रजनन-नियंत्रण में- नारी के भाव और दायित्व 

विवाह के अनेक प्रयोजनों में
     एक प्रधान प्रयोजन है
         सुप्रजनन,
और
       ऐसे सुप्रजनन को नियंत्रित करता है
             नारी का भाव--
                 जो पुरुष को उद्दीप्त कर आनत करता है ;
तभी
        नारी जिसे
              वहन कर, धारण कर
कृतार्थ और सार्थक होगी,---
        विवेचना करके
             ऐसे सर्वविषय में श्रेष्ठ,
       पुरुष के साथ ही परिणीत होना उचित है;
अतएव
       विवाह में पुरुष को वरण करने का भाव
          नारी पर रहना ही समीचीन
              प्रतीत होता है ;---
क्या ऐसी बात नहीं ?
         तुम्हीं विवेचना करके और गुरुजन के साथ
              बातें कर
                  अपना वर वरण करो.    |81|

--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, नारीनीति 

कोई टिप्पणी नहीं: