प्रजनन-नियंत्रण में- नारी के भाव और दायित्व
विवाह के अनेक प्रयोजनों में
एक प्रधान प्रयोजन है
सुप्रजनन,
और
ऐसे सुप्रजनन को नियंत्रित करता है
नारी का भाव--
जो पुरुष को उद्दीप्त कर आनत करता है ;
तभी
नारी जिसे
वहन कर, धारण कर
कृतार्थ और सार्थक होगी,---
विवेचना करके
ऐसे सर्वविषय में श्रेष्ठ,
पुरुष के साथ ही परिणीत होना उचित है;
अतएव
विवाह में पुरुष को वरण करने का भाव
नारी पर रहना ही समीचीन
प्रतीत होता है ;---
क्या ऐसी बात नहीं ?
तुम्हीं विवेचना करके और गुरुजन के साथ
बातें कर
अपना वर वरण करो. |81|
--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, नारीनीति
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