वरेण्य-वरण
पुरुष-जो सर्वप्रकार से ही
तुमसे श्रेष्ठ हैं--
और तुममें
जो तुम्हारे पूर्वज अधिष्ठित हैं
उनके वरेण्य हैं,--
जिनके साथ
आदर्श की आहुति बनने के प्रलोभन ने
तुम्हें--
सहन और वहन करने की उन्मादना में
उद्दाम कर दिया है--
तुम
उनकी ही वधु बनो--
सार्थक होओगी . |77|
--: श्री श्री ठाकुर अनुकूल चन्द्र, नारीनीति
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