विवाह में वहनक्षमता
प्रकृष्ट रूप में वहन करने को ही
विवाह कहा जाता है ;
जो वहन करेगा
(और यह वहन चाहे जितने रूप में हो सके)
यदि वह--
जिसे वहन करना है
उससे सर्वप्रकार -- सर्वविषय में
समर्थ न हो--
तो कैसे हो सकता है ?
जिन्हें तुम--
अपने को सर्वप्रकार
वहन करने के लिये
प्रार्थना कर रही हो,
वे तुम्हारी उस प्रार्थना की
पूर्ति करने के
उपयुक्त हैं या नहीं ;
विवेचना करके
अपने को दान करो,--
पतन, वेदना और आघात से उत्तीर्ण होगी |76|
--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, नारी नीति
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