सोमवार, नवंबर 14, 2011

Vivaah Mein - Anulom Aur Pratilom

विवाह में -- अनुलोम और प्रतिलोम


अनुलोम जिस प्रकार 
  उन्नत को प्रसव करता है,
     प्रतिलोम उसी प्रकार ही
        अवनति की वृद्धि करता है;--
इसीलिये
   प्रतिलोम विवाह
       ऐसा पाप है--
   जो
अपने वंश को
    ध्वंस में अवसान तो करता ही है, --
       इसके अलावा
पारिपार्श्विक या  समाज की भी
     गर्दन पकड़ कर
         विध्वस्ति की दिशा में
             परिचालित करता है !--
असती स्त्री की निष्कृति
    वरन संभव है,
        किन्तु प्रतिलोमज हीनत्व का
अपलाप
               अत्यन्त ही दुष्कर है.   |80|  

--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, नारी नीति 

1 टिप्पणी:

Pushpa Bajaj ने कहा…

Rajiv Ranjan ji Jai Guru
aapka kam abhutpurwa hai. Dhanybad