स्वामी के प्रति जाग्रत प्रेम
लक्ष्य रखो--
स्वामी के प्रति तुम्हारा प्रेम
जाग्रत और प्रेरणापुष्ट रहे,--
वे जिससे
तुम्हारे संश्रव में आकर--
आदर्श और पारिपार्श्विक की सेवा में
उद्दाम होकर --
वास्तव में उच्छल हो जायें, --
उनमें संकोच पैदा न करना,
संकीर्ण नहीं बनाना,
आत्मपरायणता में निबद्ध नहीं करना--
स्वस्ति, यश और शान्ति
तुम दोनों की ही
बन्दना करेंगे. |89|
--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूल चन्द्र, नारी नीति
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