सोमवार, नवंबर 21, 2011

Swaami Ke Prati Jaagrat Prem

स्वामी के प्रति जाग्रत प्रेम 

लक्ष्य रखो--
         स्वामी के प्रति तुम्हारा प्रेम
                 जाग्रत और प्रेरणापुष्ट रहे,--
वे जिससे
          तुम्हारे संश्रव में आकर--
आदर्श और पारिपार्श्विक की सेवा में
           उद्दाम होकर --
                    वास्तव में उच्छल हो जायें, --
उनमें संकोच पैदा न करना,
           संकीर्ण नहीं बनाना,
                     आत्मपरायणता में निबद्ध नहीं करना--
स्वस्ति, यश और शान्ति
           तुम दोनों की ही
                     बन्दना करेंगे.   |89|

--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूल चन्द्र, नारी नीति 

कोई टिप्पणी नहीं: