स्वामी में देवभाव
स्वामी को
देवता समझो --
और,
'देवता' का अर्थ वही है,
जो तुम्हारी आँखों के सामने
उज्ज्वल रूप में
मन को उज्ज्वल और उत्फुल्ल कर रहे हैं ;
देखो--
तुम्हारी सेवा, आचरण
या भ्रांत प्रेरणा से
यह मलिन न हो उठे, --
तुम
उनकी ज्योति और आनंद का
इंधन बनो--
किन्तु
इतना या ऐसा न बनो,
जिससे
दबकर
वह बुझ जाये . |88|
--: श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्र, नारी नीति
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