बुधवार, अप्रैल 08, 2009

स्वजाति-विद्वेष

साधारणतः नारियों में देखा जाता है स्वजाति के प्रति असहानुभूति और उपेक्षा,-- और इसका अनुसरण करती है दोषदृष्टि, ईर्ष्याप्रवणता, आक्रोश और परश्रीकातरता ;-- और उसके फलस्वरूप-- दूसरे की अप्रतिष्ठा करने में अपनी प्रतिष्ठा को भी नष्ट कर डालती है;-- तुम कभी भी ऐसा मत बनो,-- अन्याय का अनादर करके भी बोध और अवस्था की ओर देखती हुई-- सहानुभूति और साहाय्य प्रवण हो, -- ख्याति तुम्हारी परिचर्या करेगी- संदेह नहीं। 43
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति

कोई टिप्पणी नहीं: