शुक्रवार, अप्रैल 10, 2009

व्रत और नियम

व्रत और नियम को त्यागो नहीं-- बल्कि क्यों करता है, किस प्रकार करता है, इसे करने पर क्या हो सकता है,-- अच्छी तरह समझ कर, जो तुम्हारे धर्म को अर्थात् जीवन, यश और वृद्धि को उन्नत करता है-- वही करो, अनुष्ठान करो-- उपभोग करोगी ही। 45
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति

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