व्रत और नियम को
त्यागो नहीं--
बल्कि
क्यों करता है,
किस प्रकार करता है,
इसे करने पर क्या हो सकता है,--
अच्छी तरह समझ कर,
जो तुम्हारे धर्म को
अर्थात् जीवन, यश और वृद्धि को
उन्नत करता है--
वही करो,
अनुष्ठान करो--
उपभोग करोगी ही। 45
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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