शुक्रवार, अप्रैल 17, 2009

क्षुधा में उद्यम

यदि उद्यमी और निरलस बनने की इच्छा हो-- क्षुधा का विसर्जन न करो;-- क्षुधा ही भुक्त आहार्य को पुष्टि के उपयोगी बनाती है, -- और यह पुष्टि ही है शक्ति का इंधन। 52
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति

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