नारी से जन्म लेता है
और वृद्धि पाता है--
इसीलिए नारी है
जननी ! --
और, इसप्रकार ही
वह
जाति की भी जननी है,
उसकी शुद्धता पर ही
जाति की शुद्धता निर्भर करती है ;--
स्खलित नारी-चरित्र से
व्यर्थ जाति ही
जन्म-लाभ करती है--
समझ लो--
नारी की शुद्धता की
आवश्यकता क्या है ? 62
--: श्री श्री ठाकुर, नारीनीति
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