गुरुवार, अप्रैल 30, 2009

जननीत्व में जाति

नारी से जन्म लेता है और वृद्धि पाता है-- इसीलिए नारी है जननी ! -- और, इसप्रकार ही वह जाति की भी जननी है, उसकी शुद्धता पर ही जाति की शुद्धता निर्भर करती है ;-- स्खलित नारी-चरित्र से व्यर्थ जाति ही जन्म-लाभ करती है-- समझ लो-- नारी की शुद्धता की आवश्यकता क्या है ? 62
--: श्री श्री ठाकुर, नारीनीति

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