जिस प्रकार आहार करने पर
कोष्टशुद्धि का प्रयोजन है,--
उसी प्रकार ही
पुष्टि पाने के लिए
विधान (system) के त्यक्त-पदार्थ का निःसरण
अति आवश्यक है; --
और,
उसी उद्देश्य से
उपयुक्त परिश्रम
कम से कम जब तक पसीना न निकले--
स्वास्थ्य के हित में
अमूल्य और अमृततुल्य है। 57
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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